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सभी जीवन में मानव मूल्यों पर ही किसी देश, किसी समाज, व्यक्ति का चरित्र आधारित होता है और उपयुक्त शिक्षा ही इन मान्य जीवन मूल्यों को स्थापित करने, उन्हें विकसित करने तथा उन्हें आत्मसात करने का आधार प्रदान करती है। वस्तुत: शिक्षा राष्ट्रीय चरित्र की तथा व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक क्रियाशीलता की आधारशिला है।
भारत के मध्यप्रदेश राज्य का सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं का क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़ा क्षेत्र रहा है और छिंदवाड़ा महाकौशल क्षेत्र का प्रमुख नगर है। यद्यपि स्वतंत्रता के बाद से ही यहां कला वाणिज्य, विज्ञान संकायों में शिक्षा की सुविधा एवं व्यवस्था होती रही है परंतु फिर भी अपर्याप्त मानी गयी। अतएव छिंदवाड़ा नगर के समाज सेवी प्रबुद्धजनों द्वारा शिक्षा की सार्थक उपलब्धता हेतु सतपड़ा एजुकेशन सोसायटी का गठन किया गया। इसी क्रम में सतपुड़ा विधि महाविद्यालय की स्थापना एजुकेशन सोसायटी द्वारा वर्ष 1962 में की गई।
- सस्थापक संस्था- सतपुड़ा एजुकेशन सोसायटी
- सतपुड़ा विधि महाविद्यालय
- पुस्तकालय एवं वाचनालय
- विद्यार्थी पुस्तक कोष
- अन्य शैक्षणिक कार्यक्रम
- व्याख्यान माला
- सेमीनार, ग्रुप डिस्कशन, वर्कशाप, कान्फ्रेन्सेज शिविर
- विधि विषयक निबंध एवं वाद-विवाद प्रतियोगिताएं
- राष्ट्रीय मूटकोर्ट प्रतियोगिता
- विधि जागरूकता शिविर एवं ट्रैकिंग कैंप
- थाना भ्रमण कार्यक्रम
- प्रोजेक्टर कक्षाएं
- कैरियर गाइडेंस सेल
- एन.एस.एस. इकाई
- क्रीड़ा एवं शारीरिक कल्याण गतिविधियां
- साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां
सस्थापक संस्था- सतपुड़ा एजुकेशन सोसायटी
सतपुड़ा एजुकेशन सोसायटी सोसायटीज रजिस्ट्रेशन अधिनियम के अधीन पंजीकृत संस्था है जिसका गठन 1959 में हुआ। शिक्षा के विभिन्न पक्षों विशेषकर व्यावसायिक शिक्षा के प्रोत्साहन एवं अभिवर्धन के प्रति समर्पित है। जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा में जब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक भी महाविद्यालय नहीं था तब संस्था द्वारा सर्वप्रथम सन 1960 में कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय प्रारंभ किया गया जो संस्था द्वारा सन 1962-63 तक संचालित किया गया, तद्उपरांत म.प्र. शासन हस्तांतरित कर दिया गया यही महाविद्यालय वर्तमान में पी.जी. कॉलेज छिंदवाड़ा है। इसी श्रृंखला में सन् 1973 में इसी संस्था के द्वारा महिलाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कन्या महाविद्यालय भी प्रारंभ किया गया जो विश्वविद्यालय की संबद्धता उपलब्ध नहीं होने से नियमित नहीं हो पाया था।
1962 में सतपुड़ा विधि महाविद्यालय की स्थापना के अतिरिक्त इस समिति ने छिंदवाड़ा नगर में विगत वर्षों से स्टडी सेंटर के अंतर्गत एम.बी.ए. एवं बी.ए. पाठ्यक्रम भी प्रारंभ किया है। साथ ही सतपुड़ा विधि महाविद्यालय में इच्छुक छात्रों के लिए कम्प्यूटर शिक्षा प्रारंभ करने के साथ-साथ विश्व के विभिन्न क्षेत्र से जुड़ने, महाविद्यालय को इंटरनेट से भी जोड़ा जा चुका है। वर्तमान में कम्प्यूटर शिक्षा एवं बढ़ते अंग्रेजी के उपयोग को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय में विगत वर्ष से एल एल.बी. ऑनर्स पांचवर्षीय पाठ्यक्रम किया गया है जिसमें विद्यार्थियों को कम्प्यूटर शिक्षा, अंग्रेजी और विधि विषयों के साथ-साथ पारंपरिक विषय इतिहास, राजनीतिशास्त्र एवं समाजशास्त्र का अध्यापन कार्य कराया जाता है ताकि विद्यार्थी सभी क्षेत्रों के ज्ञात बन सकें।
महाविद्यालय द्वारा एल एल.बी. ऑनर्स (पांचवर्षीय पाठ्यक्रम) के द्वितीय वर्ष की निरंतता के लिए यथासमय कार्यवाही किए जाने के उपरांत भी महाविद्यालय को उच्च शिक्षा विभाग भोपाल द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र न दिए जाने पर विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए महाविद्यालय के शासी निकाय के निर्देश पर महाविद्यालय द्वारा उच्च न्यायालय जबलपुर में रिट याचिका दाय की गई है। जिसमें संभवत: महाविद्यालय को स्टे मिलने के पूर्णरूपेण अवसर है, तब तक विद्यार्थियों को स्वयं की जिम्मेदारी पर अगली कक्षा में प्रवेश दिया जा रहा है। उच्च न्यायालय जबलपुर में स्टे न मिलने पर अन्यत्र महाविद्यालय की कोई भूमिका नहीं होगी। स्टे मिलने पर अंतिम निर्णय तक प्राविधिक प्रवेश विद्यार्थी की स्वयं की जिम्मेदारी पर (शासी निकाय की अनुमति उपरांत) दिए जा सकेंगे।
एक अन्य पाठ्यक्रम पी.जी. डिप्लोमा इन लॉ ऑफ टेक्सेशन भी विगत वर्ष से प्रारंभ किया गया है जिसके अंतर्गत टेक्सेशन की उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान की जा रही है। टेक्सेशन की शिक्षा के साथ-साथ वर्तमान में अकाउंट विषय में टेली के बढ़ते उपयोग पर ध्यान दिया जाकर विद्यार्थियों को नवीनतम संस्करण के टेली प्रोग्राम में कार्य करने की शिक्षा भी दी जा रही है। इसके अंतर्गत किस प्रकार टेक्सेशन के फार्मों को भरा जाता है। टेक्सेशन में कौन- कौन से टेक्स भरे जाते है। टेक्स भरने की प्रक्रिया क्या है, इसका भी व्यावहारिक ज्ञान विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जा रहा है।